ज़न्नत बनाऊँगा
आज मैं तेरे ख्यालो में आया हूँ l
साथ चंन्द तारो की बारात भी लाया हूँ l
आज तुझे मैं अपने हाथों से सजाऊंगा l
सितारों को तेरी चुनरी बनाऊंगा l
चंदा से तेरा माथा सजाऊंगा l
सितारे से तेरी माँग सजाऊंगा l
बनके तुझे अपनी दुल्हन
अपने दुनिया को जन्नत बनाऊँगा l
छुए न तुझे कोई भी गम
एक ऐसा घर बनाऊँगा l
खुशियां जा न सके वहा से
उसमे न कोई ऐसा छेद बनाऊँगा ल
Sahil writer